हर रस्म मोहब्बत की, कुछ यूँ पूरी की हैं
शिकायत में भी मैंने तेरी तरफदारी की हैं।
.
तुझे क्या मालूम तुझसे वास्ता जोड़ के मैंने
इक सजा खुद ही अपने हक मे जारी की हैं।
.
आखिरकार अपने भी नजरों मे सवाल लिए
आज तेरे सामने तुझसे ही, बराबरी की हैं।
.
करगुजर कर सबकुछ, बस इतना समझा हैं
बड़ी मुश्किल जिंदगी की मैंने तैयारी की हैं।
.
सीधा सा फसाना हैं, मेरी कहानी का ऐसा
बगावत खुद्दारी से, अश्को से यारी की हैं।
~ श्रद्धा
शिकायत में भी मैंने तेरी तरफदारी की हैं।
.
तुझे क्या मालूम तुझसे वास्ता जोड़ के मैंने
इक सजा खुद ही अपने हक मे जारी की हैं।
.
आखिरकार अपने भी नजरों मे सवाल लिए
आज तेरे सामने तुझसे ही, बराबरी की हैं।
.
करगुजर कर सबकुछ, बस इतना समझा हैं
बड़ी मुश्किल जिंदगी की मैंने तैयारी की हैं।
.
सीधा सा फसाना हैं, मेरी कहानी का ऐसा
बगावत खुद्दारी से, अश्को से यारी की हैं।
~ श्रद्धा
No comments:
Post a Comment