Saturday 17 December 2016

बाद में पचताकर भी बहुत मोल पड़ता हैं!

कंबख्त इंसानी खून, जब भी उबल पड़ता हैं
जो ना कहना हो, बंदा वो भी बोल पडता हैं।
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यूँ तो निकल ही जाती हैं, जुबाँ से ऐसी बाते
बाद में पचताकर भी, बहुत मोल पड़ता हैं।
.
मरम्मत भी रिश्तों कि जरूरी हो जाती हैं जैसे
दिलों के नाके पर भी, खासा टोल पड़ता हैं।
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कहते हैं कि वक्त, हर मर्ज कि दवा हैं लेकिन
वक्त गुजरते गुजरते भी, बहुत मोल पड़ता हैं।
~अनामिका

Friday 7 October 2016

कल मेरा भी वक्त होगा।

जिंदगी का ये दौर आखिर कब तक सख्त होगा?
माना आज तेरा हैं, पर कल मेरा भी वक्त होगा।
.
किस्मत छापा मारती हैं, जरा चौकन्ना रहना चाहिए
न जाने किस का चैन-ओ-सुकून, कब जप्त होगा।
~ अनामिका

कल मेरा भी वक्त होगा

जिंदगी का ये दौर आखिर कब तक सख्त होगा?
माना आज तेरा हैं, पर कल मेरा भी वक्त होगा।
.
किस्मत छापा मारती हैं, जरा चौकन्ना रहना चाहिए
न जाने किस का चैन-ओ-सुकून, कब जप्त होगा।
~ अनामिका

कल मेरा भी वक्त होगा

जिंदगी का ये दौर आखिर कब तक सख्त होगा?
माना आज तेरा हैं, पर कल मेरा भी वक्त होगा।
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किस्मत छापा मारती हैं, जरा चौकन्ना रहना चाहिए
न जाने किस का चैन-ओ-सुकून, कब जप्त होगा।
~ अनामिका

Monday 3 October 2016

बेचैनी

जिंदगी जीने के लिए थोड़ी बेचैनी जरूरी हैं.... हद से ज्यादा सुकून भी तकलीफ देने लगता है... ~ अनामिका

Friday 30 September 2016

गम जो फारे तुम्हें बताने लग जाएंगे।

गम जो सारे तुम्हें बताने लग जाएंगे
फिर संभलने में हमे जमाने लग जाएंगे।
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इक यही बात, याद रहती हैं जहन में
कभी तो उसको हम भूलाने लग जाएंगे।
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जिंदगी भी अजीज हो जाएगी आहिस्ता
इस कदर भी खुद को सताने लग जाएंगे।
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वजह न पुंछ ले कोई, मायूसी कि हम से
फिर बताने कैसे कैसे बहाने लग जाएंगे।
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कभी जो देखे कोई रहम कि नजरों से तो
किस कदर खुश हैं ये जताने लग जाएंगे।
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अब तो तनहाई में कोई दखल न दे, वर्ना
फिर तो संभलने में, जमाने लग जाएंगे।
~ अनामिका

Saturday 24 September 2016

कसूर

कभी तो जिंदगी का ये दस्तूर समझ आएं, की
सजा जिसकी मिलती हैं वो कसूर समझ आएं।
~ अनामिका

Thursday 22 September 2016

जिद हैं तो जिद को भी मकसद मिलें कोई

जेहन में पल रहे जुनून को, हद मिले कोई
जिद हैं तो जिद को भी मकसद मिलें कोई।
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ये एक हि बहाना दे कर, कितने ठहरे हुए हैं
कि चल तो देंगे, पहले जरा मदद मिले कोई।
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तकलीफों का बोझ इसलिए भी नहीं उतरता
की खुद हि आगे आएँ, ऐसा कद मिले कोई।
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अक्सर झूठ होतीं हैं वो तमन्ना जो कहती हैं
न तो महफिल और न हि हमदर्द मिलें कोई।
~ अनामिका

Friday 16 September 2016

मजबूरी

मजबूरी आँखे दिखाती हैं... खुद्दारी का चेहरा उतर जाता हैं... ~ अनामिका

Thursday 15 September 2016

उडा रंग

मैं तो खामोश हि खड़ा था तेरी महफिल में आ कर... तेरे उडे रंग ने लेकिन सब कुछ बयाँ कर दिया।
~ अनामिका

Friday 29 July 2016

जीना होगा कुछ तो दुनिया के मुताबिक।

उसकी तनहाई का इलाज नहीं मिलेगा
जिससे किसी का मिजाज नहीं मिलेगा ।
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जीना होगा कुछ तो दुनिया के मुताबिक
अपने हिसाब का तो रिवाज नहीं मिलेगा।
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ख्वाहिशों का नशा इक उम्र तक ठिक हैं
उम्र निकलने पर कामकाज नहीं मिलेगा।
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सजानी चाहिए मजबूरियों से भी जिंदगी
जब तक मनचाहा सा साज नहीं मिलेगा।
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आजमा लेना चाहिए जिंदगी को भी वर्ना
आखिरी वक्त सुनाने को राज नहीं मिलेगा।
~ अनामिका

Wednesday 20 July 2016

असल में तो समझौतों के सफर देती हैं जिंदगी।

लगता हैं कि बड़े अच्छे ऑफर देती हैं जिंदगी
असल में तो समझौतों के सफर देती हैं जिंदगी।
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जैसे जिस गले में होते थे कभी दोस्तों के हाथ
अब वहाँ बस टाय और काँलर देती हैं जिंदगी।
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इक ख्वाहिश माँ से मिलने की पूरी नहीं हो पातीं
कहने को तो पोझीशन और पाँवर देती हैं जिंदगी।
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यहाँ खुद से वाकिफ होने का नेटवर्क नहीं मिलता
यूँ तो हर जगह तरह तरह के टाँवर देती हैं जिंदगी।
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वो गुल्लक वाले सिक्के तो फिर भी नहीं मिलेंगे
जबकि अब सीधे रुपयों से डाँलर देती हैं जिंदगी।
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कभी मुनाफे में हो बेचैनी, कभी सुकून नुकसान में
बस कुछ ऐसे ही जीने के ऑफर देती हैं जिंदगी।
~ अनामिका

Wednesday 15 June 2016

मुश्किलों में डाल के जो चौका देती हैं जिंदगी

 मुश्किलों में डालके जो चौंका देती हैं जिंदगी
 यूँ भी तो कभी कभी, मौका देती हैं जिंदगी।
 .
 समझने वाले को, बस समझ आना चाहिए
 हर वक्त थोड़ी हि न धोखा देती हैं जिंदगी।
 .
 समझौतों कि धूप में, रखो तो गुरूर अपना
 पलकों के अश्को को सूखा देती हैं जिंदगी।
 .
 ख्वाहिश और सब्र का तालमेल आना चाहिए
 तमाम मजबूरीयों को झुका देती हैं जिंदगी।
 ~ अनामिका

Monday 13 June 2016

तेरी नजर में खुदा से अब बेहुदा हो गया हूँ मैं।

तेरी खातिर तुझसे ही देख जुदा हो गया हूँ मैं
तेरी नजर में खुदा से अब बेहुदा हो गया हूँ मैं।
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मजबूरी मोहब्बत पे, हावी हो जाती हैं अक्सर
पर तुझसे बिछडके भी तो आधा हो गया हूँ मैं।
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दिल भी मुझे चलाता हैं, दिमाग भी चला लेता हैं
जिंदगी कि शतरंज का यूँ प्यादा हो गया हूँ मैं।
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ये सफर मेरा हैं, पर पहले मैं तो किनारों का हूँ
अनचाहे भी लौटने वाला नाखुदा हो गया हूँ मैं।
~ श्रद्धा

Wednesday 1 June 2016

दुनियादारी निभानी हैं तो काम से काम रखा जाएँ

दिल में रंजिश होकर भी होंठो पर सलाम रखा जाएँ
दुनियादारी निभानी हैं, तो काम से काम रखा जाएँ।
 .
 इतना आसान नहीं हैं इस दुनिया से कट कर रहना
अनचाहे भी खामोशी को, जरा सरेआम रखा जाएँ।
 .
 यूँ तो सवाल करती रहती है आँखे अपने अश्को से
 छोड़ो! अपनी ही मजबूरी पे क्या इलजाम रखा जाएँ।
 .
 गहरे हो सकते हैं ताल्लूकात वैसे आज के भी दौर मैं
 अपने रिश्तों पर भी अगर, कोई इनाम रखा जाएँ।
 .
 जिंदगी भी इक नशा हैं अगर गौर से देखा जाए तो
 दिल में फकत हसरतों का, कोई जाम रखा जाएँ।
 ~ अनामिका

Monday 30 May 2016

बेवफाई को भी तेरी इक राज रखा हैं मैंने

बेवफाई को भी तेरी, इक राज रखा हैं मैंने
बेपनाह मोहब्बत का ये अंदाज रखा हैं मैंने
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गनीमत हैं ये कलम भी तुझसे बदतमीजी करें
मेरी शायरी में भीे तेरा, लिहाज रखा हैं मैनें।
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छलकती हैं आज भी कभी तनहाई मेेें आँखे
तो लगता हैं की तुझे ही, नाराज रखा हैं मैंने।
.
तुझे खोकर जैसे, खौफ-ए-खुदा भी न रहा
तेरे बाद तो यही अपना मिजाज रखा हैं मैंने।
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'मोहब्बत' के मायने भी तुझसे ले के तुझी पे थे
अब तो मेरे पास सिर्फ ये अल्फाज रखा हैं मैंने।
~ अनामिका

Tuesday 17 May 2016

जद्दोजहद मेरे दिल की कुछ यूँ हल हो जाएँ

जद्दोजहद मेरे दिल की, कुछ यूँ हल हो जाएँ
जो बसा हैं इस दिल मे उसी से पहल हो जाएँ।
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जो दे अगर दस्तक मेरे दिल की दहलीज पे वो
इस फकीर की ये कुटीया भी, महल हो जाएँ।
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तसव्वूर में भी हो जाएँ, जो दिदार अगर उसका
ये तमाम नजारे दुनिया के, फिर ओझल हो जाएँ।
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इस खौफ और कश्मकश में गुजर रहीं हैं जिंदगी
ये पल ही ना कहीं, गुजरा हुआ कल हो जाएँ।
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मकसद सा लगने लगा हैं जीने का वो मुझ को
जो उसे पा लू, तो ये जिंदगी भी सफल हो जाएँ।
~ अनामिका

Saturday 7 May 2016

जो मेरा हुआ ही नहीं उसे भूल जाएँ तो बेहतर हैं

दिल पर संभाले हुए दाग अब धूल जाएँ तो बेहतर हैं
जो मेरा हुआ हि नहीं, उसे भूल जाएँ तो बेहतर हैं।
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इससे पहले की बँध जाएँ, इक नई डोर नए धागे से
कुछ पुरानी यादें रफू करके सिल जाए तो बेहतर हैं।
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आखिर कैद कौन कर पाया हैं, उस बीते हुए कल को
ये आने वाला पल ही, जरा टल जाएँ तो बेहतर हैं
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मजबूरी अपनी जगह, और दुनियादारी अपनी जगह
जिंदगी जीने को कुछ हसरते, जल जाएँ तो बेहतर हैं।
~ अनामिका

Friday 6 May 2016

समझौते

सिर्फ समझौते होने लगे हैें, नाराजगी नहीं रहती
लगता हैं कि रिश्तों में अब वो ताजगी नहीं रहती।
~ अनामिका

वो गिर जाते हैं मेरी नजरों से, जिनकी आँखो में चुभता हूँ मैं...

ये लेनदेन का हिसाब भी, कुछ इस तरह रखता हूँ मैं
वो गिर जाते हैं मेरी नजरों से, जिनकी आँखो में चुभता हूँ मैं।
~ अनामिका 

Wednesday 6 April 2016

कौन है जो बचाने गहराई में आया हैं...

कौन हैं जो बचाने, गहराई में आया हैं
क्या जाने कि मजा तो तबाही में आया हैं।
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मिलेगी यूँ मोहब्बत, तो बेकार हो जाएँगे
ये शायरी का फन, तो तनहाई में आया हैं।
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सैलाब काबू करने का तरीका भी अनोखा हैं
कोई धूप का मौसम, जैसे जुलाई में आया हैं।
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आँखो में सवाल लिए फिरता हैं खामोशी के
बेखबर हैं, की जवाब तो रुबाई में आया हैं।
~ अनामिका
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सैलाब- flood
रुबाई- a verse form of Persian origin consisting of four-line stanzas

Tuesday 22 March 2016

HAPPY HOLI :)

होली के त्योहार की अक्सर सुनते हैं ये कहानी
हीरण्यकश्यप के अहंकार को हरने की थी प्रभू ने ठानी।
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न जलने का वरदान होकर भी होलिका जलकर राख हुई
सच्ची भक्ति के सामने उस दिन, बुराइयों की  मात हुई।
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यही कारण हैं की आज हम होली का पर्व मनाते हैं
अपने द्वेष और अहंकार को होली के साथ जलाते हैं।
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लेकिन आज में पर्यावरण की भीषण समस्याए हो रही हैं
तो ऐसे में क्या पेड़ पौधों को इस तरह काटना जरूरी हैं?
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अपने भविष्य के बारे में तो हमें ही सोचना चाहिए
इस तरह की बातों को अब मिलकर रोकना चाहिए।
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बूँद बूँद पानी को भी कुछ लोग यहाँ तरसते हैं
कुछ गाँवो में इंद्रदेव तो 3-3 साल नहीं बरसते हैं
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सिर्फ होली की बात नहीं ये बात हैं जीवन भर की
तो यही जहन में रख के मनाए होली अपने घर की।
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माना परंमपराओ से ही तो अपनी भारत भूमि हैं
लेकिन जल और पौधों के बिन ये भूमि भी सूनी हैं
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मेरी सच्ची बातो में, कुछ कुछ कडवाहट तो मिलीं हैं
खैर चलो कोई बात नहीं, बुरा न मानो होली हैं :)
WISH U ALL A VERY HAPPY AND SAFE HOLI... :)

Sunday 20 March 2016

न तो घुट-घुट के, न डर के पर्दो में जी जाएँ....

न तो घुट-घुट के, न डर के पर्दो मे जी जाएँ
जिंदगी वो हैं, जो अपनी शर्तो पे जी जाएँ।
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विरासत के दौलतमंद क्या जाने मेहनत का नशा
जिंदगी वो नहीं, जो अपने पुरखो पे जी जाएँ।
~ अनामिका

Friday 18 March 2016

थोड़ी formality भी जरूरी हैं

कहने को सब कहते हैं, कि Reality भी जरूरी हैं।
पर रिश्तों को जो जोड़ रखे, वो Quality भी जरूरी हैं
मेरी झूठी मुस्कान से मेरी शख्सियत झूठी न समझो
ये आज कल के रिश्ते हैं, थोड़ी formality भी जरूरी हैं।
~ अनामिका

Thursday 17 March 2016

ये जो मेरी मोहब्बत में वो मगरेर होता हैं....

ये जो मेरी मोहब्बत में वो मगरूर होता हैं
इतराता वो है, और खुद पे गुरूर होता हैं।
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लाजिम हैं उसका भी, अमह मेरी चाहत में
बेशकिमती मेरा भी इश्क-ए-फितूर होता हैं।
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बेरूखी भी उसकी, सिर आँखो पर रहती हैं
इस गुनाह में थोड़ी न किसी का कुसूर होता हैं
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झुक कर ही दिलों कि बुलंदी हासिल होती हैं
सच्ची मोहब्बतों का तो, यही दस्तूर होता हैं।
~ अनामिका

Sunday 6 March 2016

चुनावी दौर हैं मियाँ ये जुमला दे देंगे

कहते हैं कि सबको, हम बंगला दे देंगे
चुनावी दौर हैं मियाँ, ये जुमला दे देंगे।
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जमीन लौटाने के जो वादे किया करते थे
कल खेतीबाड़ी करने को, ये गमला दे देंगे।
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चारों और शांति के जो संदेश लिए घूमते हैं
कल राजनीति में अगर हारे तो हमला दे देंगे।
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फरीश्ते वो हैं जो सरहद पर शहीद होते हैं
ये झूठे मसीहा महज, झूठा हौसला दे देंगे।
~ अनामिका

Friday 4 March 2016

माफ किया हैं मैंने

झूठी बुलंदी से खुद को खिलाफ किया हैं मैंने
आज अपनी नियत को, साफ किया हैं मैंने
खुद्दारी चखने के लिए लाख मुश्किलें उठाई हैं
तब कहीं जाकर खुद को माफ किया हैं मैंने।
~ अनामिका

Wednesday 17 February 2016

नजरें सवाल करती हैं तो मेकर जाता है कोई।

यूँ तो अपनी नजरों में, उतर जाता हैं कोई
नजरें सवाल करती हैं तो मूकर जाता हैं कोई।
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गर्दीशों में रहता हैं, विरानियों से राबता
शब-ए-तनहाई में लेकिन, छूकर जाता हैं कोई
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पलके बिछी रहती हैं मुसलसल उन राहो पर
नजर चूराकर आहीस्ता गुजर जाता हैं कोई।
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फलसफा भी अजीब हैं रिवायत-ए-इश्क का
मोहब्बतों में समेट के, बिखर जाता हैं कोई।
~ अनामिका

Monday 15 February 2016

किसी से भी इश्क अब बेशुमार नहीं होता।

महज बेचैनी सी रहती  हैं,  खुमार नहीं होता
किसी से भीे इश्क अब बेशुमार नहीं होता।
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आती जाती रहती हैं, कई सर्द हवाएं यूँ तो
गुजरे मौसम का लेकिन अब इंतजार नहीं होता।
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सफर करते करते अक्सर, मिठे झरने मिलते हैं
पर हसरत होते हुए भी दिल, तलबगार नहीं होता।
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कल के पत्थर कि चोट आज हीरे से तौबा कराती हैं
कोन कहता हैं, खुद पे खुद का इख्तियार नहीं होता।
~ अनामिका

Sunday 14 February 2016

काश की ये मोहब्बत मुझे इस कदर न होती...

खुश रहने की खुशफैमी, यूँ बेअसर न होती
काश की ये मोहब्बत मुझे इस कदर न होती।
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जिंदगी से बेखबर, मैं इसी सोच में रहता हूँ
काश मुझे यूँ पल पल, तेरी खबर न होती।)
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साँसें रूख्सत करने को बेताब हैं ये जान मेरी
मजबूर हूँ, अगर मुझ को तेरी फिकर न होती।
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कहानी समझ उन किस्सो को मै भी भूल जाता
जो मुझे भी उन एहसासों कि, कदर न होती।
~ अनामिका

Saturday 13 February 2016

वो बाप अपने अश्को से यूँ वजू कर लेता हैं।

बेटी के फटे लिबास को, वो रफू कर लेता हैं
मचलती कुछ हवाओं को, यूँ काबू कर लेता हैं
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आँखे छलक उठती हैं जब हाथ फैलाए उसकी
वो बाप अपने अश्को से, यूँ वजू कर लेता हैं
~ अनामिका

Tuesday 9 February 2016

कहते हो कि सच हमने बताया कब?

कहते हो, कि सच हमने बताया कब?
तुम कहो, कि झूठ हमने छुपाया कब?
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नजर में तो तुम्हारे, हर बात आती हैं
नजर को नजर से तुमने मिलाया कब?
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खामोशी को मेरे, जरा छेड़ तो देते
बताओ, कि हमें तुमने सताया कब?
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दिल की बातों को बखूबी बताया तुमने
बेसब्र अपनी चाहत को जताया कब?
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फर्ज जिम्मेदारीयोंका, निभा तो दिया
पर मोहब्बत कि रस्मों को निभाया कब?
~ अनामिका

Saturday 6 February 2016

मेरी कलम हैं वो

मेरे दिल की आवाज बिन कहें सुन लेती हैं
मेरे सपनों को मुझी से, पहले बून लेती हैं
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मैं गलतफहमी, तो मेरा भ्रम हैं वो
मैं सच्चाई, तो मेरा धर्म हैं वो
मैं जो हूँ हया, तो मेरी शर्म हैं वो
अगर मैं नेकी, तो मेरा करम हैं वो।
.
मैं जिंदगी, तो मेरा जन्म हैं वो
मैं थंड रूहानी, तो मौसम हैं वो
मैं हूँ जख्म, तो मल्हम हैं वो
मैं दरियादिल, तो मेरा रहम हैं वो।
.
आखिर हैं कौन? क्यी मेरा वहम हैं वो?
वहम नहीं, मेरी "कलम" हैं वो
.
मैं जान, तो मेरी जानम हैं वो
और कोई नहीं, मेरी "कलम" हैं वो।
~ अनामिका

Friday 5 February 2016

खुशी खुशी तुझको आज विदा किया हैं मैंने

खुशी खुशी तुझको आज विदा किया हैं मैंने
फर्ज सच्ची मोहब्बत का अता किया हैं मैंने।
.
मजबूरीयाँ भी तेरी, सर-आँखो पर रखी हैं
जश्न मनाकर खुद को, यूँ फना किया हैं मैंने।
.
तेरा वजूद भी मीट गया, मेरी रूह से देख ले
खुद को खुद से इस तरह, जुदा किया हैं मैंने।
.
शराफत से जीता हूँ अब तेरे वादों के खातिर
देख किस तरह, खुद को तबाह किया हैं मैंने।
~ अनामिका

Tuesday 2 February 2016

दुनियादारी

अजीब रिवायत लगती हैं दुनियादारी भी... जब तक अंजान थे, बातें होती थी... जान-पहचान क्या हुई, महज फरीयादें होने लगी हैं....
~ अनामिका

Saturday 30 January 2016

अपने भी हिस्से सुकून के पल दो पल मिलें

परेशानीयोंका मौला मेरे कुछ तो हल मिले
अपने भी हिस्से सुकून के पल दो पल मिले।
.
रंज ले के घूमते हैं जो झूठे अश्को में हमदर्द
दुआ हैं कि आँखो को उनके गंगाजल मिलें।
.
सर्द हवाएँ इन दिनों गर्म मिजाज में रहती हैं
नेकी करों के फकिर के, बदन पे कंबल मिलें।
.
बेरुखी हि मोड़ दे तेरा रूख मेरी और अब
क्या पता, के हम कभी न फिर कल मिले।
~ अनामिका

Facebook ka password

रातों को भी जागने वाला इक Bird बना रखा हैं
अच्छे खासे इंसान को, क्यो चमकादड बना रखा हैं
आखिर निकलोगे तुम कैसे मेरे दिल-ओ-दिमाग से सनम
तुम्हे मैंने Facebook का Password बना रखा हैं

Friday 29 January 2016

बढ़ती उम्र के साथ साथ यूँ नादान किया हैं तूने...

ख्वाहिशों कि जमीन को जो विरान किया हैं तूने
ए जिंदगी मुझे बार बार, यूँ हैरान किया हैं तूने।
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किसी को भी मुझसे अब शिकायत नहीं रहती
देख किस कदर, मुझे परेशान किया हैं तूने।
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अंदाजा नहीं लगता अब कल को लेकर खुद का
ये किस तरह मुझ को, तूफान किया हैं तूने
.
दिल पे नहीं लगती हैं, अब हालातों कि मार
बढ़ती उम्र के साथ साथ यूँ नादान किया हैं तूने।
~ अनामिका

Friday 8 January 2016

सवेरा भी दोपहर में जिनका कंबल में होता हैं वो शेरों को बताते हैं कि क्या जंगल में होता हैं।

सवेरा भी दोपहर में जिनका कंबल में होता हैं
वो शेरों को बताते हैं कि क्या जंगल में होता हैं।
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नियत और सीरत से ही निर्दोष होना काफी नहीं
कई बार तो दोष यहा पर मंगल में होता हैं।
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बाँसुरी की धून वाला जमाना कब का गुजर गया
आज कल का भजन तो DJ संदल में होता हैं।
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आपसी मतभेद टकरानेके नतीजे कौन सोचता हैं
फिर कहते हैं की भारी नुकसान तो दंगल में होता हैं।
~ अनामिका