Wednesday, 6 April 2016

कौन है जो बचाने गहराई में आया हैं...

कौन हैं जो बचाने, गहराई में आया हैं
क्या जाने कि मजा तो तबाही में आया हैं।
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मिलेगी यूँ मोहब्बत, तो बेकार हो जाएँगे
ये शायरी का फन, तो तनहाई में आया हैं।
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सैलाब काबू करने का तरीका भी अनोखा हैं
कोई धूप का मौसम, जैसे जुलाई में आया हैं।
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आँखो में सवाल लिए फिरता हैं खामोशी के
बेखबर हैं, की जवाब तो रुबाई में आया हैं।
~ अनामिका
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सैलाब- flood
रुबाई- a verse form of Persian origin consisting of four-line stanzas

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