Wednesday 31 December 2014

चेहरे पर जो अपने दोहरी नकाब रखता है खुदा उसकी चलाखीयोंका हीसाब रखता है।

चेहरे पर जो अपने दोहरी नकाब रखता है
खुदा उसकी चलाखीयोंका हीसाब रखता है।

जमानेकी नजर में जो चुप चुप सा रहता है
अक्सर वही सीनेमे जलता सैलाब रखता है।

पींजरे में ही कैद होगई है जिंदगी जीसकी
वो पंछी भी एकदीन उडने का ख्वाब रखता है।

काटों से मोहब्बत करने की हीम्मत जीसमे हो
वही अपने हाथों में गुलाब रखता है।

दहशत पैदा करने का तरीका जीसे आगया
वो शेर ही सर पर बादशाही का खीताब रखता है।

जो बोलनेके हुनर से लोगों का दील जीतले
वो बीना सवाल जानेही होंठो पर जवाब रखता है।
- अनामिका

Sunday 28 December 2014

लकीरो मे छुपी है या महनत में दबी है? कीस्मत को मुट्ठी के दम पर आजमाना है।













ना शोहरत ना रुत्बा ना महलों में ठीकाना है।
ये मुफलीस की झोपड़ी बस सपनों का आशियाना है।

जबान से मीठा और जायके से कडवा है
हर शक्स अंदरसे बडा कातीलाना है।

ये अदावते ये तेवर कीसको दीखाए?
कंबख्त ईस दील की हरकते बचकाना है।

लकीरो मे छुपी है या महनत में दबी है?
कीस्मत को मुट्ठी के दम पर आजमाना है।

जो सीधे सीधे बयान हो वो दर्द ही क्या है
मुझसे सीखो, मेरा अंदाज कुछ शायराना है।
- अनामिका

मुफलीस- गरीब
जायका- Taste

Saturday 27 December 2014

दर्द


मोहब्बत के ईस खेल में आजमाईश क्यु है?
जब बेपनाह ईश्क है तब रंजीश क्यु है?

लफ्ज ही लफ्जो के मायने ना समझे
अरमानों की दीलमे बंदीश क्यु है?

दील जलाने के यहाँ मनसुबे बनते है
अपनों के लीये ही ये साजीश क्यु है?

तवज्जो भी दे और तवक्को ना रखे
ईस ईश्क मे ऐसी गुजारिश क्यु है?

जख्म तो जैसे विरासत में मीले है
यहाँ अनगीनत अश्कों की बारिश क्यु है?
- अनामिका

रंजीश- anger
मनसुबे- planning
तवज्जो- here d meaning of dis. word is care
तवक्को- expectation
अश्क- tears

मीलनेकी फुरसत कीसके पास है यहाँ? हर कोई आजकल जल्दी में है।

मीलनेकी फुरसत कीसके पास है यहाँ?
हर कोई आजकल जल्दी में है।

तकदीर का कारोबार तो खुदा ही जाने
कीस्मत की दुकान भी मंदी मे है।

घर पे मीले जख्मों को अंदर ही निपटादे
ऐसा मलहम उस हल्दी में है।

माँ से झगडकर जो बच्चा रूठ जाएँ
उसे मनाने का सबब बस दादी में है।

बाप के खातिर जो मोहब्बत कुर्बान करे
ये हुनर हींदुस्तान की हर बंदी मे है।

हुकुमत में जीये तो क्या खाक जीये
असली मजा तो आजादी में है।
- अनामिका

Friday 26 December 2014

ईश्कबाजी


























जब मन में आए तब लुत्फ उठा लेते हो
ये दील है, कश्मीर का शीकारा नही।

तेरी ख्वाहीशो के लीये कब तक यु टुटता रहू
इंसान हु, आसमान का सीतारा नहीं।

बेवफाई के ईल्जाम भी मुझपर ही लगते रहे है
आशीक हु, गली का आवारा नही।

मोहब्बत निभानी है तो शीद्दत से निभाओ
ये चार दीन की ईश्कबाजी मुझे गवारा नही।

आसानीसे ईस दील पे तेरी हुकुमत चल गई
वर्ना ये बादशाह कभी हारा नही।

जो तुने छोड़ दीया तो और भी कई मिलेंगे
मै कोई कीस्मत का मारा नही।
- अनामिका

लुत्फ - enjoy
शिकारा - boat, जहाज

Wednesday 24 December 2014

मुफलीसी ही मुकद्दर मे आनी है तो आए ठीकाना बस अपना हो, फीर झोपडी ही क्यु ना हो।

मुफलीसी ही मुकद्दर मे आनी है तो आए
ठीकाना बस अपना हो, फीर झोपडी ही क्यु ना हो।

जो पुरी ना हो तो आख भर आती है
जिंदगी से कुछ ख्वाहीशे थोडी क्यु ना हो।

चुभने का दर्द कोई उस विधवा से पुछे
वो टुटने वाली काँच की चुडी क्यु ना हो।

सुरज ढलतेही घर लौट आना चाहीये
दुनिया में हर तरफ जंग छीडी क्यु ना हो ।

औलाद को नजरे झुकाए रखनी चाहीये
चाहे वो बाप के सामने खडी क्यु ना हो ।

बेटी को मनाने का हुनर हर बाप रखा करे
चाहे वो लाख जीद पे अडी क्यु ना हो।

जिंदगी के सफर तो तजुर्बो से कटते है
घर में फीर लाखो की गाडी क्यु ना हो।

दील मे दबाए रखी है तो बोल देनी चाहीये
चाहे फीर वो बात बडी क्यु ना हो।

मोहब्बत करने वाले हद से गुजर ही जाते है
पैरो मे समाज की बेडी क्यु ना हो।

- अनामिका

Tuesday 23 December 2014

मोहब्बत.........

जरूरत में वो आती है बस मीलती है ईक जख्म की तरह
सीनेसे उसे लगाता हूँ, सोचता उसे मरहम की तरह।

उसे मुझसे मोहब्बत है या मैं उसका हमदर्द हूँ?
जहन में बस वो रहती है ईक वहम की तरह।

मन मे आए तो बोलती है, वर्ना चूप चूप सी रहती है
पल भर मे वो बदलती है कीसी मौसम की तरह।

ईक मै ही नही आंशिक उसका, और भी कोई होगा
कभी मुझे वो लगती है उस झेलम की तरह।

दुखता है दील पर कंबख्त बाज नही आता
सहता उसे मैं रहता हूँ, कीसी जुर्म की तरह।

- अनामिका
झेलम is a name of river which flows in India as well as
in pakistan.

Sunday 21 December 2014

अधूरे उन सपनों से कुछ ऐसी चाहत थी.........

अधूरे उन सपनों से कुछ ऐसी चाहत थी,
अंजान ईक सहरा में जैसे पानी की तलब थी।

भीड़ भरी महफिल में मेरी ऐसी हालत थी,
महफिल में दबी मेरी तनहाई भी गजब थी।

बेवफा ऊस शक्स से कुछ ऐसी मोहब्बत थी,
जो हुआ सो हुआ। जुदाई मेरी नसीब में थी।

वो अमीर साहब बनगया, मैं फकीर गुलाम रहगया,
बाप का चेहरा कभी देखा नहीं, और माँ बोहोत गरीब थी।

बुढे जिंदा रह गए और जवान हादसेमे मर गए,
उनको फौरन बचा सके, ऐसी दवा कीसी मतब में थी।

- अनामिका

सहरा- रेगिस्तान
तलब- प्यास
मतब- अस्पताल

सुकून और अमन का यहाँ एक ही मकान है मुफ्त का बसेरा है जहाँ, वो शमशान है।

सुकून और अमन का यहाँ एक ही मकान है
मुफ्त का बसेरा है जहाँ, वो शमशान है।

ना दोस्त, ना दुश्मन, ना मेहबूब का दामन
भीड़ मे फसी तनहाईयोंका ये कबरिस्तान है।

ताऊम्र अना को, वो गिरवी रखते आया है
बस औलाद की खातिर ये बाप के लिये आसान है।

आज भरे बुढ़ापे मे बेटा बाप को न पुछे,
बाप की तमाम कुरबानीयोंका, ये कैसा सम्मान है?

ना खाने को निवाला, ना शरीर मे जान है
गरीब की जिंदगी मे बस थकान और तुफान है।

फकीर के लिये एक और दुश्वार दीन,
बस अमीरों का ही त्योहार और अमीरों का ही रमजान है।

सिर्फ धर्म के बात में यहाँ सबकी आन है
ना गीता जानते है, ना पढ़ा कुरान है।

बस नाम का है खुदा, और नाम का ही भगवान है
यहाँ बस्ती मे गालीगलोच, और मस्जिद मे आझान है।

- अनामिका

जिंदगी के सफर मे एक लमहा जब मै ठहर गया..........

जिंदगी के सफर मे एक लमहा जब मै ठहर गया
होश आया तो देखा जैसे सदियोंका वक्त गुजर गया।

वक्त के आगे निकलना था जाने कैसे हार गया
वक्त की ऊस रफ्तार से तब मै बोहोत डर गया।

जवानीका मोड था,  चेहरे पे कीसी के मर गया
ईश्क पे जोर चलता नही, जो ना करना था करगया।

आशिकी मे हारना था, हारकर ही सवर गया
बेवफा ऊस शक्स का अब चेहरा दील से उतर गया।

चंद पैसों के खातिर गाँव से जब मै शहर गया
खुद का ठीकाना था नही, तो कीसी दोस्त के घर गया।

मुझे देखकर दोस्त बोला ये तु कहा आगया?
मुसीबत की ऊस घड़ी मे दोस्त भी मुकर गया।

आखिर मै जब लाचार होके खुदा के कीसी दर पर गया
बाहर बैठे फकीर की दुआओसे दामन भर गया।

अकेला हु, अकेला ही जाऊँगा ये सबक तब मै जानगया
रहनुमा बस खुदा है, ईस बात को आज मानगया।

- अनामिका

रहनुमा - Guide

सीयासतों मे कीसीकी कीमत आज घटगई घटी थी कल जीसकी, उसकी आज बढगई।

सीयासतों मे कीसीकी कीमत आज घटगई
घटी थी कल जीसकी, उसकी आज बढगई।

फरेब और ऐब में जो खेलते रहे कल तक,
मुल्ख मे उनकी धज्जियाँ आज उडगई।

जालीम कुछ दरींदो ने नोच लीया जीसे
ऊस बाप से पुछो, गुडीया जीसकी मरगई।

सरहद पर देश की इज्जत बचाई उसने
यहाँ भरी जवानी में चुडीयाँ कीसीकी टूट गई।

कहीं जमीन है बंजर तो मिट्टी भी सुखगई
कही बेमौसम बरसात से पत्तीयाँ कुछ झडगई।

गरीबों की बस्ती मे मातम सा छागया
कीसानों के खुदखुशी की चिठ्ठीयाँ जब मीलगई।

घर मे जीसके बेटा हुआ, खुशीयाँ उन्हें मीलगई
तो कीसी माँ के कोख मे ही बिटिया उसकी मरगई।

आधुनिक भारत के ऐ आधुनिक सोच वाले
तेरी घटीया सोच पे शरम से नजरे झुकगई।

दोस्ती की परीभाषा आज दुश्मनी मे बदलगई
नफरत और जंग मे ही दुनिया आज भीडगई।

फुर्सत के कुछ लम्हों मे यु ही खयाल आता है,
समय के ईस रफ्तार मे इंसानियत कहा छुटगई?

- अनामिका

जिक्र तेरा जमानेसे जब जब मै करता हूँ जीतली ये जिंदगी कहकर जीतना भुल जाता हूँ।

जिक्र तेरा जमानेसे जब जब मै करता हूँ
जीतली ये जिंदगी कहकर जीतना भुल जाता हूँ।

हसरत तुझे हसानेकी दील मे जब मै रखता हूँ
हसता तुझे देखता हु और हसना भुल जाता हूँ।

तुझे मै जानता हु, ये खुदसे जब मै कहता हूँ
सच कहता हु जान, मै जीना भुल जाता हूँ।

जब जब तुम सजती हो सोच मे पड जाता हूँ
सवरता तुम्हे देखकर साँस लेना भुल जाता हूँ।

खुदा से तुझे मांगनेकी ख्वाहीश जब मै करता हूँ
तुझे खोनेके खौफ से, खुद को भुल जाता हूँ।

- अनामिका

तनहाई की ईस रात मे कुछ दर्द खंगाले जाते है


आखो से गीरते गीरते कुछ अश्क संभाले जाते है।

पैसा जीनका बोलता है, बोलबाला उनका होता है
वो बेमतलब कुछ बोले तो भी मतलब नीकाले जाते है।

राजनीति का दौर है, दोस्ती बरकरार रखनी चाहीये
ईसी तरह आस्तीनो मे साँप पाले जाते है।

हया और इज्जत तो तवायफो मे भी होती है
जो मजबूरी और लाचारी के साचे मे ढाले जाते है।

जबान जीनकी खामोश हो, वो नीगाहो से बोलते है
ईसी तरह दील के कुछ राज खोले जाते है।

मोहोब्बत मे दील ही नही, जान भी जीन्होने हारी है
आजकल वही मोहोब्बत के मसीहा बोले जाते है।

फरेब और मक्कारी से जो खेले वही खिलाड़ी है
ऐसेही बाजारों मे खोटे सीक्के तोले जाते है।

- अनामिका

पहली ही नजर मे जो चीर गया दीलको सोचताहु उसका नाम क्या होगा?






पहली ही नजर मे जो चीर गया दीलको
सोचताहु उसका नाम क्या होगा?

अजनबी वो चेहरा जो छपगया जहन मे
आसानीसे ईस दीलसे गुमनाम क्या होगा?

जैसे कतल कीया हो उसने और खरोच तक ना आयी
जब आगाज ये है, तो अंजाम क्या होगा?

माना उनके हुस्न के चर्चे बोहोत है
जो थामले मेरा हाथ वो, तो बदनाम क्या होगा?

छुप छुप कर ही कागजो पे वो नाम लीखा करते है
ये वो वाकीया है, जो सरेआम क्या होगा?

कभी दील-ए-राज जो बयान करू लफ्जो मे,
सोचता हूँ फीर हसके वो पैगाम क्या होगा?

इकरार-ए-मोहब्बत मे तो फना हो जाउंगा
इनकार अगर वो कहे, तो इंतकाम क्या होगा?

- अनामिका

दुनिया मे लगे जब लोगो के मेले थे हम तो कहीनाकही फीर भी अकेले थे।



















दुनिया मे लगे जब लोगो के मेले थे
हम तो कहीनाकही फीर भी अकेले थे।

रह रह के दरवाजे पे दस्तक दीया करते है
दुख जैसे कतार मे गीनगीनके झेले थे।

वो रीश्तेदारी वो दुनियादारी कभी रास ना आई
कुछ खेल जो अपनों ने मीलके खेले थे।

ईश्कबाजी, बेवफाई क्या क्या बयान करे?
दील के कीसी कोने मे सेकडो झमेले थे।

मुसीबत में दूरदूर तक कोई नजर ना आया
यु तो मेरे पीछे कीतने काफीले थे।

कहने पे आऊ तोरात कम पडजाये
जिंदगी मे नजाने और कौनसे मसले थे?

- अनामिका