Sunday, 21 December 2014

जिंदगी के सफर मे एक लमहा जब मै ठहर गया..........

जिंदगी के सफर मे एक लमहा जब मै ठहर गया
होश आया तो देखा जैसे सदियोंका वक्त गुजर गया।

वक्त के आगे निकलना था जाने कैसे हार गया
वक्त की ऊस रफ्तार से तब मै बोहोत डर गया।

जवानीका मोड था,  चेहरे पे कीसी के मर गया
ईश्क पे जोर चलता नही, जो ना करना था करगया।

आशिकी मे हारना था, हारकर ही सवर गया
बेवफा ऊस शक्स का अब चेहरा दील से उतर गया।

चंद पैसों के खातिर गाँव से जब मै शहर गया
खुद का ठीकाना था नही, तो कीसी दोस्त के घर गया।

मुझे देखकर दोस्त बोला ये तु कहा आगया?
मुसीबत की ऊस घड़ी मे दोस्त भी मुकर गया।

आखिर मै जब लाचार होके खुदा के कीसी दर पर गया
बाहर बैठे फकीर की दुआओसे दामन भर गया।

अकेला हु, अकेला ही जाऊँगा ये सबक तब मै जानगया
रहनुमा बस खुदा है, ईस बात को आज मानगया।

- अनामिका

रहनुमा - Guide

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