Friday, 26 December 2014

ईश्कबाजी


























जब मन में आए तब लुत्फ उठा लेते हो
ये दील है, कश्मीर का शीकारा नही।

तेरी ख्वाहीशो के लीये कब तक यु टुटता रहू
इंसान हु, आसमान का सीतारा नहीं।

बेवफाई के ईल्जाम भी मुझपर ही लगते रहे है
आशीक हु, गली का आवारा नही।

मोहब्बत निभानी है तो शीद्दत से निभाओ
ये चार दीन की ईश्कबाजी मुझे गवारा नही।

आसानीसे ईस दील पे तेरी हुकुमत चल गई
वर्ना ये बादशाह कभी हारा नही।

जो तुने छोड़ दीया तो और भी कई मिलेंगे
मै कोई कीस्मत का मारा नही।
- अनामिका

लुत्फ - enjoy
शिकारा - boat, जहाज

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