पहली ही नजर मे जो चीर गया दीलको
सोचताहु उसका नाम क्या होगा?
अजनबी वो चेहरा जो छपगया जहन मे
आसानीसे ईस दीलसे गुमनाम क्या होगा?
जैसे कतल कीया हो उसने और खरोच तक ना आयी
जब आगाज ये है, तो अंजाम क्या होगा?
माना उनके हुस्न के चर्चे बोहोत है
जो थामले मेरा हाथ वो, तो बदनाम क्या होगा?
छुप छुप कर ही कागजो पे वो नाम लीखा करते है
ये वो वाकीया है, जो सरेआम क्या होगा?
कभी दील-ए-राज जो बयान करू लफ्जो मे,
सोचता हूँ फीर हसके वो पैगाम क्या होगा?
इकरार-ए-मोहब्बत मे तो फना हो जाउंगा
इनकार अगर वो कहे, तो इंतकाम क्या होगा?
- अनामिका
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