ना शोहरत ना रुत्बा ना महलों में ठीकाना है।
ये मुफलीस की झोपड़ी बस सपनों का आशियाना है।
जबान से मीठा और जायके से कडवा है
हर शक्स अंदरसे बडा कातीलाना है।
ये अदावते ये तेवर कीसको दीखाए?
कंबख्त ईस दील की हरकते बचकाना है।
लकीरो मे छुपी है या महनत में दबी है?
कीस्मत को मुट्ठी के दम पर आजमाना है।
जो सीधे सीधे बयान हो वो दर्द ही क्या है
मुझसे सीखो, मेरा अंदाज कुछ शायराना है।
- अनामिका
मुफलीस- गरीब
जायका- Taste

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