Monday, 13 June 2016

तेरी नजर में खुदा से अब बेहुदा हो गया हूँ मैं।

तेरी खातिर तुझसे ही देख जुदा हो गया हूँ मैं
तेरी नजर में खुदा से अब बेहुदा हो गया हूँ मैं।
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मजबूरी मोहब्बत पे, हावी हो जाती हैं अक्सर
पर तुझसे बिछडके भी तो आधा हो गया हूँ मैं।
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दिल भी मुझे चलाता हैं, दिमाग भी चला लेता हैं
जिंदगी कि शतरंज का यूँ प्यादा हो गया हूँ मैं।
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ये सफर मेरा हैं, पर पहले मैं तो किनारों का हूँ
अनचाहे भी लौटने वाला नाखुदा हो गया हूँ मैं।
~ श्रद्धा

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