यूँ तो अपनी नजरों में, उतर जाता हैं कोई
नजरें सवाल करती हैं तो मूकर जाता हैं कोई।
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गर्दीशों में रहता हैं, विरानियों से राबता
शब-ए-तनहाई में लेकिन, छूकर जाता हैं कोई
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पलके बिछी रहती हैं मुसलसल उन राहो पर
नजर चूराकर आहीस्ता गुजर जाता हैं कोई।
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फलसफा भी अजीब हैं रिवायत-ए-इश्क का
मोहब्बतों में समेट के, बिखर जाता हैं कोई।
~ अनामिका
नजरें सवाल करती हैं तो मूकर जाता हैं कोई।
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गर्दीशों में रहता हैं, विरानियों से राबता
शब-ए-तनहाई में लेकिन, छूकर जाता हैं कोई
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पलके बिछी रहती हैं मुसलसल उन राहो पर
नजर चूराकर आहीस्ता गुजर जाता हैं कोई।
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फलसफा भी अजीब हैं रिवायत-ए-इश्क का
मोहब्बतों में समेट के, बिखर जाता हैं कोई।
~ अनामिका
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