Wednesday 17 February 2016

नजरें सवाल करती हैं तो मेकर जाता है कोई।

यूँ तो अपनी नजरों में, उतर जाता हैं कोई
नजरें सवाल करती हैं तो मूकर जाता हैं कोई।
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गर्दीशों में रहता हैं, विरानियों से राबता
शब-ए-तनहाई में लेकिन, छूकर जाता हैं कोई
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पलके बिछी रहती हैं मुसलसल उन राहो पर
नजर चूराकर आहीस्ता गुजर जाता हैं कोई।
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फलसफा भी अजीब हैं रिवायत-ए-इश्क का
मोहब्बतों में समेट के, बिखर जाता हैं कोई।
~ अनामिका

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