क्या करें जनाब ये मोहोब्बत का सुरूर हैं
कमबख्त मेरे बस मे नहीं, ये दील तो मजबूर है।
मैखानो के जाम भी फीके पडने लगते हैं,
उन नशीली आखो मे नजाने क्या नूर है।
मन्नत है कीसीकी, या जन्नत की हूर है
बेशकीमती हैं वो, जैसे कोहिनूर है।
कीसको इल्जाम दे? आखिर किसका कसूर है?
आशिक है हम, माशूक तो मगरूर है।
हम वफाओ के शौकीन, उन पे हुस्न का गुरूर है
बेवफा के नाम से, वो सरेआम मशहूर हैं।
ईश्क और अश्क तो सीक्के के दो पहलू है,
ईश्कबाजी का आखिर यही दस्तूर है।
कमबख्त मेरे बस मे नहीं, ये दील तो मजबूर है।
मैखानो के जाम भी फीके पडने लगते हैं,
उन नशीली आखो मे नजाने क्या नूर है।
मन्नत है कीसीकी, या जन्नत की हूर है
बेशकीमती हैं वो, जैसे कोहिनूर है।
कीसको इल्जाम दे? आखिर किसका कसूर है?
आशिक है हम, माशूक तो मगरूर है।
हम वफाओ के शौकीन, उन पे हुस्न का गुरूर है
बेवफा के नाम से, वो सरेआम मशहूर हैं।
ईश्क और अश्क तो सीक्के के दो पहलू है,
ईश्कबाजी का आखिर यही दस्तूर है।
Hi anamika... all ur written lines are touching heart
ReplyDeleteThankyou.....
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