इस तनहाई में महफिलों की कमी जरूर खलती हैं
शुक्र हैं मेरा हाथ थामे कलम और स्याही चलती हैं।
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उजालों में छुप जाती हैं दिल की तमाम विरानीयाँ
अंधेरों में अक्सर मेरी असलियत मुझसे मिलती हैं।
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दुनिया भर की बद्दुआएँ तब बेअसर होने लगती हैं
जब मेरे माँ के सजदे में मेरे नाम से दुआएँ पलती हैं
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बुरा हो या अच्छा, तुझसे यकीन नहीं उठता मालिक
तेरे नाम से जहर भी लूँ तो सारी बलाएँ टलती हैं।
~ अनामिका
शुक्र हैं मेरा हाथ थामे कलम और स्याही चलती हैं।
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उजालों में छुप जाती हैं दिल की तमाम विरानीयाँ
अंधेरों में अक्सर मेरी असलियत मुझसे मिलती हैं।
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दुनिया भर की बद्दुआएँ तब बेअसर होने लगती हैं
जब मेरे माँ के सजदे में मेरे नाम से दुआएँ पलती हैं
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बुरा हो या अच्छा, तुझसे यकीन नहीं उठता मालिक
तेरे नाम से जहर भी लूँ तो सारी बलाएँ टलती हैं।
~ अनामिका
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