Tuesday, 8 August 2017

हम भी कभी-कबार उन फ़रिश्तो से, बराबरी कर लेते हैं।

लोग काम वाम कर लेते हैं! कैसी मगजमारी कर लेते हैं
और इक हम ठहरे मस्तमौला, शायरी-वायरी कर लेते  हैं।
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ज़िन्दगी को जीने का मियाँ सलीक़ा ही नहीं आया हमको
कोई मुस्क़ूरा भी चल दे, उसकी शुक़्र ग़ुज़ारी कर लेते हैं।
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सच कहें तो मिजाज़ अपना, कुछ रंगीन था उस वक़्त में
उसके हिज्र का कमाल, अब सबसे वफादारी कर लेते हैं।
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चंद सिक्कों की ख़ैरात देकर DSLR से फोटो खींचवा कर
हम भी कभी-कबार उन फ़रिश्तो से, बराबरी कर लेते हैं।

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