कैसे कैसे तजुर्बों मे, यार शामिल किया हैं ख़ुद को
अक़ड़ हैं तो अक़ड़ के, क़ाबिल किया हैं ख़ुद को।
.
तुम तो भीड़ हो ग़ुजरती! मियाँ तुम को क्या ख़बर
जरा रुक कर पहले, मैंने हासिल किया हैं ख़ुद को।
.
ये क़लम भी तेरी बेवफ़ाई को, बेनक़ाब नहीं करती
धत्!की मेरी वफ़ा ने ही बुज़दिल किया हैं ख़ुद को।
.
इस ज़माने की नज़र में, हम यूँ ही अच्छे थोड़ी बने
ख़्वाहिशों को मारके मैंने क़ातील किया हैं ख़ुद को।
~ श्रद्धा
अक़ड़ हैं तो अक़ड़ के, क़ाबिल किया हैं ख़ुद को।
.
तुम तो भीड़ हो ग़ुजरती! मियाँ तुम को क्या ख़बर
जरा रुक कर पहले, मैंने हासिल किया हैं ख़ुद को।
.
ये क़लम भी तेरी बेवफ़ाई को, बेनक़ाब नहीं करती
धत्!की मेरी वफ़ा ने ही बुज़दिल किया हैं ख़ुद को।
.
इस ज़माने की नज़र में, हम यूँ ही अच्छे थोड़ी बने
ख़्वाहिशों को मारके मैंने क़ातील किया हैं ख़ुद को।
~ श्रद्धा
No comments:
Post a Comment