कपट मन का ख़ुद ब ख़ुद सामने लाया न करो
दाद देते देते जनाब, तुम हिचकिचाया न करो।
मन का कालापन, रंग उड़ा ही देता हैं चेहरे का
झूठी मुस्कान से ख़ामख़ा, जगमगाया न करो।
डर होता हैं अक़्सर, ख़्वाहिशों के बह जाने का
कंबख्त आँखे तुम बे वक़्त, भर आया न करो।
फक़त वो लमहे हसीन थे, जब वो ये कहता था
मै कहूँगा दफ़ा हो जाओ, पर तुम जाया न करो।
~ Shraddha
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