माना दरमियाँ हो गया है मनमुटाव, क्या कहिए
पर आज भी बरक़रार है उनसे लगाव क्या कहिए।
हम तो इसी फ़िराक़ मे हैं, कि डूबोए भवर हमको
लेकिन रफ़्तार मे है ज़िन्दगी का बहाव क्या कहिए।
कितने नौजवान सर को हाथ पकड़े कहते फिरते हैं
अब तो ख़ैर हम ख़ेल ही चुके ये दाँव, क्या कहिए।
ज़िन्दगी की कड़ी धूप, हम झेल भी चुके अब क्या
सर्दियों में भला किस काम की ये छाँव, क्या कहिए।
~ Shraddha
पर आज भी बरक़रार है उनसे लगाव क्या कहिए।
हम तो इसी फ़िराक़ मे हैं, कि डूबोए भवर हमको
लेकिन रफ़्तार मे है ज़िन्दगी का बहाव क्या कहिए।
कितने नौजवान सर को हाथ पकड़े कहते फिरते हैं
अब तो ख़ैर हम ख़ेल ही चुके ये दाँव, क्या कहिए।
ज़िन्दगी की कड़ी धूप, हम झेल भी चुके अब क्या
सर्दियों में भला किस काम की ये छाँव, क्या कहिए।
~ Shraddha
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