माना कि तेरे ख़यालों में, ग़ुम नहीं हूँ मैं
लेकिन तेरी मुहब्बत से, महरूम नहीं हूँ मैं।
मैं कहानी हूँ मुक़म्मल, वजूद मिरा तन्हा
तराने को ज़रूरी, वो तरन्नुम नहीं हूँ मैं।
पाने खोने का ये ख़ेल, रास हि नहीं आया
हिसाब करें उल्फत मे, वो हुजूम नहीं हूँ मैं।
लाहासिल हूँ मैं मगर, तुम्हे कामिल कर दूंगा
आखिरकार मैं मैं हूँ जाना, तुम नहीं हूँ मैं।
~ shraddha
लेकिन तेरी मुहब्बत से, महरूम नहीं हूँ मैं।
मैं कहानी हूँ मुक़म्मल, वजूद मिरा तन्हा
तराने को ज़रूरी, वो तरन्नुम नहीं हूँ मैं।
पाने खोने का ये ख़ेल, रास हि नहीं आया
हिसाब करें उल्फत मे, वो हुजूम नहीं हूँ मैं।
लाहासिल हूँ मैं मगर, तुम्हे कामिल कर दूंगा
आखिरकार मैं मैं हूँ जाना, तुम नहीं हूँ मैं।
~ shraddha
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