दुनियादारी मे वफादारी वो कुछ इस तरह निभाया करता है
अपनी आँगन का फूल किसी और बगीचे में सजाया करता है।
उचाईयों कि ख्वाहिश लिए जब जिद करता है परिंदा उसका
तीनका तीनका गिरवी रखकर खुदकी भुख दबाया करता है।
हालात चाहे हरादे उसे पर लड़ना नहीं छोडता हैं
वो मेहनत हथेली पर रखकर अपना नसीब आजमाया करता है।
जरूरतों और जिम्मेदारीयों के नाम पर कतल करता है अरमान अपने
झूठी मुस्कान के आड़े अपना गम छुपाया करता है।
~ अनामिका
अपनी आँगन का फूल किसी और बगीचे में सजाया करता है।
उचाईयों कि ख्वाहिश लिए जब जिद करता है परिंदा उसका
तीनका तीनका गिरवी रखकर खुदकी भुख दबाया करता है।
हालात चाहे हरादे उसे पर लड़ना नहीं छोडता हैं
वो मेहनत हथेली पर रखकर अपना नसीब आजमाया करता है।
जरूरतों और जिम्मेदारीयों के नाम पर कतल करता है अरमान अपने
झूठी मुस्कान के आड़े अपना गम छुपाया करता है।
~ अनामिका
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