अक्सर जो हँसकर कहता है जिंदगी कितनी खूबसूरत है
उसकी आँखो में देखा है, उसे पल पल मरते हुए।
उजालों कि चकाचौंध में जो नीडर होकर घूमता है
उसे अंधेरों में देखा है अपनी तनहाई से डरते हुए।
शोहरत, रुत्बा, हैसियत जिसे मुकद्दर से मिलगई
उसे दरबदर भटकते देखा है सुकून ढूढते हुए।
यारों, दोस्तों कि महफिल में जो जिंदादिल कहलाता है
अक्सर उसे देखा है खुद हि खुद से लड़ते हुए।
~ अनामिका
उसकी आँखो में देखा है, उसे पल पल मरते हुए।
उजालों कि चकाचौंध में जो नीडर होकर घूमता है
उसे अंधेरों में देखा है अपनी तनहाई से डरते हुए।
शोहरत, रुत्बा, हैसियत जिसे मुकद्दर से मिलगई
उसे दरबदर भटकते देखा है सुकून ढूढते हुए।
यारों, दोस्तों कि महफिल में जो जिंदादिल कहलाता है
अक्सर उसे देखा है खुद हि खुद से लड़ते हुए।
~ अनामिका
No comments:
Post a Comment