Monday, 9 March 2015

फितरत में फरेब और चेहरे पर संजिदगी रहती है दोहरी नकाब में छिपने वालों कि नियत मे गंदगी रहती है।

फितरत में फरेब और चेहरे पर संजिदगी रहती है
दोहरी नकाब में छिपने वालों कि नियत मे गंदगी रहती है।

जो हुक्म हो उस *ईलाही का तो सारे जुर्म हसके सहले
ऐसे कुछ फरीश्तों के खून में *बंदगी रहती है।

ताउम्र गुरूर और अहम में जो जीते रहें
आखिरी कुछ घड़ीयो में उन नजरों मे शर्मिंदगी रहती है।

मोहब्बत में दिल हि नही, जान भी जिन्होने हारी हो
मोहब्बत के उन मसिहों की रूहों मे वाबस्तगी रहती है।

क्या गीला-शिकवा, क्या शोहरत-रूत्बा
आखिर कुछ वक्त की ही अपनी जिंदगी रहती है।
~ अनामिका

ईलाही- ईश्वर
बंदगी- सेवा
वाबस्तगी- attachment

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