Sunday, 11 January 2015

हम आज भी यहाँ मोहब्बत चोरी से करते है।

कीरदार तो अक्सर नकाब में ही रहता है
लोग ईनसान की पेहचान उसकी अदाकारी से करते है।

मजबूरी में खुद्दारी जब जवाब देने लगे
वो अना की निलामी बारी बारी से करते है।

कुछ आस्तिन के साँपो का जहर भी मीठा लगता है,
जो बेईमानी भी बड़ी ईमानदारी से करते है।

ईस सीयासत में कुछ नेता ऐसे भी होंगे
जो मुल्क की सेवा वफादारी से करते है।

जो शायर है, उनका मीजाज अलग है
वो दर्द-ए-दील बयान अपनी शायरी से करते है।

हम हींदुस्तानी है। अपनी तहजीब नही छोडते
हम आज भी यहाँ मोहब्बत चोरी से करते है।
- अनामिका

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