कागजों के पन्नों जैसी ये मोहब्बत कहाँ है
जैसे आग मे फेंक दीया और ये कीस्सा भस्म होता।
भुलाने पर आते तो कबका भुला देते
जो बीना रूह के बस वो एक मीट्टी का जीस्म होता।
सरेआम बेझीझक बखूबी से निभाया होता
जो बिना ईश्क बस वो एक मंगनी की रस्म होता।
जिंदगी की अकेली ख्वाहीश मे उसेही मांगलेता
मेरे पास जो कुदरत का जादुई तीलीस्म होता।
साँस लेना भुलजाता पर उसे कभी भुलता नही
जो मेरे रगो मे बसा वो कोई गजल या नज्म होता।
मैने उसे छोडदीया या वो मुझे भुलगया
बुरे कीसी सपने की तरह बस ये भ्रम होता।
जैसा हम करते है, वैसाही हम भरते है
काश पीछले जन्मों का मेराभी अच्छा कर्म होता।
- अनामिका
जैसे आग मे फेंक दीया और ये कीस्सा भस्म होता।
भुलाने पर आते तो कबका भुला देते
जो बीना रूह के बस वो एक मीट्टी का जीस्म होता।
सरेआम बेझीझक बखूबी से निभाया होता
जो बिना ईश्क बस वो एक मंगनी की रस्म होता।
जिंदगी की अकेली ख्वाहीश मे उसेही मांगलेता
मेरे पास जो कुदरत का जादुई तीलीस्म होता।
साँस लेना भुलजाता पर उसे कभी भुलता नही
जो मेरे रगो मे बसा वो कोई गजल या नज्म होता।
मैने उसे छोडदीया या वो मुझे भुलगया
बुरे कीसी सपने की तरह बस ये भ्रम होता।
जैसा हम करते है, वैसाही हम भरते है
काश पीछले जन्मों का मेराभी अच्छा कर्म होता।
- अनामिका
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