Monday, 5 January 2015

जब जब जिंदगी में आजमाईशों का मेला आगया माँ ने हसके देखा और लडनेका हौसला आगया।

जब जब जिंदगी में आजमाईशों का मेला आगया
माँ ने हसके देखा और लडनेका हौसला आगया।

मेरे जीतने की खुशी पर जलके राख होगए लोग
जरासी हार क्या मीली हसने मोहल्ला आगया।

बेईमानी और ईमानदारी की जंग छीडी हुई थी कही
हार मीलगई गरीब को, जीतकर पैसेवाला आगया।

जींदा था जो कलतक उसे हालचाल कीसीने पुछा नही
मगरमछके आंसु बहाने आज काफिला आगया।

शोहरत और दौलत पर जो गुरूर करके जीता रहा
आखिरी साँस टुटतेही दुनिया से अकेला आगया।

ईस दौर की तकनीक से कुदरत को हराने चले थे बेवकुफ
धज्जीया उडगई सबकी जब त्सुनामि, जलजला आगया।

पडोसी मुल्क उजडा था तब चैन की नींद सो रहे थे जो
आज उनके ही घर पर आतंकवाद का हल्ला आगया।
- अनामिका

1 comment:

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