Saturday, 4 April 2015

एक गजल.... यारों के... और उनकी यारी के नाम....

वो यारी फकत नाम कि है, जिसमें शर्म है या लिहाज है
किस्मत वालों को होती है ये बीमारी, इसका ना कोई इलाज है।

झगड़ा हो तो गाली देंगे, पर मुसीबत आएं तो जान दे देंगे
यारी में ऐसे कमीने यार तो होते ही जाँबाज है।

इश्क-मोहब्बत में जो लाख रोए, यार जो दिखे तो खुलके हसदे
यही ताकत है यारी कि, यही यारो के मिजाज है।

खून, मजहब अलग होकर भी रूह एक हो जाती है
यारी कि इस अलग दुनिया का यही एक रिवाज है।

एक नाजुक मोड़ है यारी का, जब अहम स्वयम पे हावी ना हो
यारी कि इस खुबसूरती का यही एक राज है।
~ अनामिका

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