Thursday, 30 April 2015

जिसकी यारी हैं मौत से, उसे तकदीर क्या डराएँगी।

बिखरती इन हवाओं को कोई जंजीर क्या डराएँगी
जिसकी यारी हैं मौत से, उसे तकदीर क्या डराएँगी।

जलजला जो आएगा, जहाँ मर्जी दफन हो जाएंगे
होंगी किसी के भी बाप की वो जागीर क्या डराएँगी।

वाकीफ हूँ मैं वक्त की इस बदलती फितरत से
ये धूप-छाँव सी जिंदगी की तस्वीर क्या डराएँगी।

लाख कहाँ हकीकत सें मेरे ख्वाबों को डराएँ
जो मेरे ही खिलाफ थी, मेरे खातिर क्या डराएँगी।
~ अनामिका

जलजला- earthquake
जागीर- property, estate

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