जहाँ रिश्तों में हो दरारें और मुँह पर ताले रहते हैं
वहाँ संगेमरमर के महलों में भी अक्सर जाले रहते हैं।
जरासा क्या अँधेरा हुआ, जुगनू भी तेवर दिखाएँगे
मजबूरी जब आन पड़े तो छुपकर उजाले रहते हैं।
पैसों में इतनी ताकत हैं की वर्दी के रंग भी बदलेंगे
आज के दौर में साँपो ने ही सपेरे पाले रहते हैं।
माशुका का हुक्म होते ही जो नंगे पाँव दौड़ने लगे
माँ ने जरासा पुकारते ही इनके पाँव में छाले रहते हैं।
हया और इज्जत तो वैसे तवायफों में भी होती हैं
जो मजबूरी और लाचारी के साँचे में ढाले रहते हैं।
जाहीलियत के नाम पर न जाने कब तक जुर्म होते रहेंगे
पंख निकलने से पहले ही चिड़ियों के हाथ पीले रहते हैं।
~ अनामिका
वहाँ संगेमरमर के महलों में भी अक्सर जाले रहते हैं।
जरासा क्या अँधेरा हुआ, जुगनू भी तेवर दिखाएँगे
मजबूरी जब आन पड़े तो छुपकर उजाले रहते हैं।
पैसों में इतनी ताकत हैं की वर्दी के रंग भी बदलेंगे
आज के दौर में साँपो ने ही सपेरे पाले रहते हैं।
माशुका का हुक्म होते ही जो नंगे पाँव दौड़ने लगे
माँ ने जरासा पुकारते ही इनके पाँव में छाले रहते हैं।
हया और इज्जत तो वैसे तवायफों में भी होती हैं
जो मजबूरी और लाचारी के साँचे में ढाले रहते हैं।
जाहीलियत के नाम पर न जाने कब तक जुर्म होते रहेंगे
पंख निकलने से पहले ही चिड़ियों के हाथ पीले रहते हैं।
~ अनामिका
No comments:
Post a Comment