Monday, 23 February 2015

A Question to d God.... _/\_

A Question to d God... _/\_

मेरे मालिक मुझे रह रहकर एक ही बात सताती है
मेरे ही सपने मुझे ना हासिल हो, ये तो सरासर ज्यादति है।

तू जो करेगा ठीक ही करेगा, माँ ये अक्सर बताती है
अब तू दिमाग से शातिर है या माँ मेरी जज्बाति है?

मेरे कर्मो का हिसाब-किताब फिरसे एक बार देखले
मै ही कही गलत हूँ या तकदिर मेरी देहाती है?

साए की तरह चिपके है ये इम्तिहानों के सिलसिले
इकदूजे बिन अधूरे हम, जैसे दिया और बाती है।

ना मैं लडकर थका हूँ ना तू आजमाकर थका है
अब आगे तेरी मर्जी मालिक, बस तू ही मेरा साथी है।
~ अनामिका

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