Thursday, 19 February 2015

टूटे इस दिल की आज हिफाजत करले तू आकर मेरे जख्मों की मरम्मत करले।

टूटे इस दिल की आज हिफाजत करले
तू आकर मेरे जख्मों की मरम्मत करले।

इक तेरीही तलब है जो बुझी नहीं अबतक
आज शराफत से पिलानेकी तू हिमाकत करले।

तेरे दिल पें घाव कुछ मैंने भी दिए होंगे
आज आकर मुझसे मेरीही शिकायत करले।

हक है तुझे अपनी मनमानी का जानम
तू आकर मेरी सल्तनत में बगावत करले।

तुझे पानेकी चाह में खुदा से लड़ बैठा हूँ
आज आकर मेरे हवाले से तू इबादत करले।

हिज्र की आग में इस कदर जल रहा हूँ
तू आकर आज मुझसे फीर मोहब्बत करले।
~ अनामिका

हिज्र- जुदाई

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