Thursday, 26 February 2015

जिंदादिली

खामोश सी जिंदगी है, अरमान बोहोत है
भीड़ सी बस्ती मे चलते है, अंजान बोहोत है।

इम्तिहानोका चलताहे सिलसिला मंजीलोका निशान मिलता नही
ख्वाहिशोका घुटताहे गला न जाने उस खुदा को कैसे
दिखता नही।

ए खुदा मत कर गुरुर अपनी हस्ती पर, एक दिन
मेरा भी आएगा
खुदकी हस्ती पर नाज करने वाले, तु खुद इस
बंदी को दुनियासे मिलाएगा।

किस्मत भी झुकेगी मेरे आगे, माथे की लकीर
भी बदलेगी
कल जे हसते थे मुझपे, आज उनकी नीयत बदलेगी।

रंगीन सी दुनिया है, फीरभी बेरंग लगती है
चांदनी तो चांद का हीस्सा है,
फीरभी अलग सी लगती है।

दिखावे की मुस्कान है
तनहाई मे डूबी हर एक शाम है
बीखरा है कई टुकडो मे ये दील,
मगर "जिंदादिली" इस दिल की पहचान है।
~ अनामिका

3 JULY 2012

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