सालों बाद वो नजर आया कुछ इस अंदाज से
जैसे नजरें उसकी मिलगई हो किसी अंजान से।
देखकर उसका यू मुड़जाना इक तसल्लि देगया यारों
रिश्ता तो आज भी गहरा है उसका, इस नादान से।
कुछ कसमें, कुछ वादों के जो गवाह हुआ करते थे
वो ठिकाने अब नजर आते है कुछ विरान से।
जुदा होना हि मुकद्दर है, तो इक फरियाद सुनले मालिक
उसे तमाम खुशियाँ हासिल हो इस जहान से।
~ अनामिका
जैसे नजरें उसकी मिलगई हो किसी अंजान से।
देखकर उसका यू मुड़जाना इक तसल्लि देगया यारों
रिश्ता तो आज भी गहरा है उसका, इस नादान से।
कुछ कसमें, कुछ वादों के जो गवाह हुआ करते थे
वो ठिकाने अब नजर आते है कुछ विरान से।
जुदा होना हि मुकद्दर है, तो इक फरियाद सुनले मालिक
उसे तमाम खुशियाँ हासिल हो इस जहान से।
~ अनामिका
No comments:
Post a Comment